हेलो दोस्तों आज हम एक बहुत ही इंपॉर्टेंट टॉपिक के ऊपर डिस्कशन करेंगे और वह है IUCN RED DATA BOOK रेड बुक डाटा |
यूपीएससी के एग्जाम में बहुत बार यह सवाल पूछा जाता है कि IUCN आईयूसीएन क्या है और इससे रिलेटेड जुड़े हुए को बहुत सारे सवाल पूछे जाते हैं इंफॉर्मेशन बहुत इंपॉर्टेंट और आज हम सीखेंगे RED DATA BOOK रेड डाटा बुक पर आखिर RED DATA BOOK रेड डाटा बुक को बनाने का मकसद क्या है?
रेड डाटा बुक क्या है ?
दुनियाभर में लाखों प्रकार के जीव हैं जिनके बारे में हमें पूरी जानकारी नहीं है इन में से कुछ जीव तो लुप्त हो चुके हैं और कुछ जीव लुप्त होने की कगार पर है जो जीव लुप्त हो चुके हैं वह जीव किस प्रकार से लुप्त हुए और जो जीव विलुप्त होने वाले हैं उन सभी जीवो का उल्लेख एक विशेष प्रकार की लाल किताब में किया गया है जिसे रेड डाटा बुक कहते हैं
IUCN
दुनिया की प्रकृति संरक्षण की अंतरराष्ट्रीय संस्था आईयूसीएन इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर एक विशेष प्रकार की लाल किताब का प्रकाशन किया है इसमें दुनिया के सभी प्रकार के जीवों की जानकारी है तथा लुप्त हो रही जीवो की प्रजातियों तथा उनके कारणों का उल्लेख भी है
यूएन का मुख्यालय है दुनिया की प्रथम 1 जनवरी 1972 को प्रकाशित हुई थी
रेड डाटा बुक (RED DATA BOOK)- इन्टरनेशनल यूनियन ऑफ कन्जरवेशन ऑफ नेचर एण्ड नेचुरल
रिसोंसेज (International Union of Conservation of Nature and Natural Resources) ने विलुप्तता के
कगार पर खड़े विलुप्त होते हुए पौधों व जन्तुओं की लिस्ट तैयार की है। इस लिस्ट को 'Red List' या 'Red Data
Book' कहते हैं। इसमें संसार की 18,000 प्रजातियों के नाम हैं जिनमें 11,096 (5,611 जन्तु व 5,685 पादप
प्रजातियाँ संकटग्रस्त (threatened) हैं ) और 1,014 पादप प्रजातियाँ तथा 925 जन्तु प्रजातियाँ क्रान्तिक रूप से
संकटग्रस्त (critically endangered) हैं। Red Data Book तैयार करने के मुख्य उद्देश्य भी बताए हैं
भारत में Botanical Survery of India (BSI) ने Red Data Book में सम्मिलित संकटग्रस्त पादपों की लिस्ट
को तीन volumes में लिपिबद्ध किया है। इसी प्रकार Zoological Survery of India (ZSI) ने भारत की 81
संकटग्रस्त जन्तु प्रजातियों का विवरण दिया है।
रेड लिस्ट का मतलब क्या होता है?
IUCN रेड डाटा बुक को समय-समय पर अपडेट किया जाता है और इसमें लुप्त हो गए प्रजातियों एवं कम बचे हुए जीवों की संख्या को लिखा जाता है।
रेड डाटा बुक को हिंदी में लाल सूची कहते हैं और इसे पहली बार 1948 में प्रकाशित किया गया था, जिसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड में स्थित है।
शुरुआत में इसे रूस के जीव वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया था बाद में 1948 में इसे विश्व स्तरीय पर संगठन का रूप दे दिया गया।
रेड डाटा बुक के प्रकार
रेड डाटा बुक में पृथ्वी पर रहनेवाले सभी जीव जंतुओं एवं पौधों की प्रजातियां के नाम लिखे हैं तथा इन प्रजातियों को पहली बार और आखरी बार कब देखा गया है इसकी भी जानकारी दी गई है।
रेड डाटा बुक को अलग-अलग जातियों एवं उनकी स्थितियों को रंगों के द्वारा सजाया गया है, जिन्हें कई प्रजातियों और उप-प्रजातियों के विलुप्त होने के जोखिम के अनुसार व्यवस्थित किया गया है जो इस प्रकार से है।
- काला उन प्रजातियों को दर्शाता है जिनके विलुप्त होने की पुष्टि की जाती है।
- लाल लुप्तप्राय प्रजातियों को दर्शाता है
- एम्बर उन प्रजातियों के लिए जिनकी स्थिति कमजोर होती है
- जो दुर्लभ प्रजाति है उन्हें सफेद रंग से कोड किया जाता है।
- उन प्रजातियों के लिए हरा जो पहले लुप्तप्राय थीं, लेकिन उनकी संख्या थोड़ी बहुत ठीक होने लगी है।
- उन प्रजातियों के लिए ग्रे रंग जिन्हें संवेदनशील, लुप्तप्राय, या दुर्लभ के रूप में विभाजित किया गया है, और उनके लिए पर्याप्त रूप से डाटा मौजूद नहीं है।